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उस रात रामलाल मेरे कमरे में आया और बोला, मैंम साहब खाना लगा दूँ, क्या मैंने कहा, मुझे अभी भूख नहीं है, फिर मैं बोली, रामलाल मेरा एक काम करोगे, रामलाल बोला, बिल्कुल करेंगे मैंम साहब, मैंने कहा, रामलाल मेरी तबियर ठीक नहीं लग रही,
थोड़ा तेल गर्म करके लाओ, मेरे हाथ पेर दबा दो और मेरी मालिश भी कर देना, रामलाल बोला, ठीक है मैंम साहब, हम तेल गर्म करके लाते हैं, मैं उस समय मैं गाउन पहने हुए थी, मैं बिस्तर पर लेट गई,
रामलाल पांच मिनट में तेल गर्म करके कमरे में आ गया और वहीं खड़ा हो गया, मैंने अपना गाउन घुटनों तक उठा दिया और कहा, रामलाल मेरे पेरों पर तेल लगा कर मालिश कर दो, रामलाल जी, मैंम साहब कहकर मेरे पेरों पर तेल की मालिश करने लगा, मैंन
की उंगलियों की पकड़ पहले से भी ज्यादा तेज हो गयी, फिर मैं पलट गई और बोली, रामलाल मेरी पीठ की भी मालिश कर दो, बहुत दर्ध हो रहा है, वह थोड़ा हिचकिचाने लगा, उसने कहा, मैंम साहब मैं यह नहीं कर सकता, मैंने कहा, रामलाल देखो, तु
मैंने पैसों का लालच दिया, रामलाल ने मेरा गाउन पीठ से उठा कर, पीठ की मालिश चालू कर दी, मैंने दीवार पर लगे शीशे में देख लिया, की अब वह मेरे बदन को घूर रहा था, मैंने कहा, रामलाल, मेरे पीठ पर अच्छे से मसाज करो, वह कांपते हाथो